बर्री बेहटा पंचायत के 600 लोग आज भी प्रोत्साहन राशि से वंचित

बर्री बेहटा पंचायत के 600 लोग आज भी प्रोत्साहन राशि से वंचित
पुपरी - लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत पूरे जिले में ओडीएफ के लिए अभियान चलाया गया। इसके लिए चलाए गए जागरूकता अभियान में करोड़ों रुपये खर्च किए गए। मधुबनी सीमा से सट़े चोरौत प्रखंड की बररी बेहटा पंचायत दो वर्ष पूर्व ओडीएफ घोषित हुआ। लेकिन, अब भी यह पंचायत खुले में शौच से मुक्त नहीं हो पाया है। इसकी हकीकत जानने के लिए दैनिक जागरण टीम प्रखंड मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर बर्री बेहटा पंचायत के बलसा गांव की पड़ताल की। यह गांव धौस नदी के किनारे बसा है। अतिपिछड़ी व पिछड़ी जाति बाहुल्य हैं। आज भी गांव के अधिकतर लोग खेत व सड़क के किनारे खुल में शौच जाते दिखते हैं। ओडीएफ का नारा तो लोगों ने खूब बुलंद किया, लेकिन इससे उनके व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। यही वजह है कि ओडीएफ घोषित होने के बाद भी सड़क के किनारे गंदगी का अंबार दिख रहा। लोगों का इन रास्तों से गुजरना दुभर हो जाता है। लोग गंदगी से होने वाली संक्रामक बीमारियों से अनजान हैं। यह स्थिति देख लगता है जागरूकता अभियान सिर्फ खानापूरी हुई और स्वच्छता के नारे हवा में ही गूंज कर रह गए। इस गांव के वार्ड 9, 10, 11 में नए शौचालय का निर्माण तो हुआ लेकिन, अधिकतर शौचालय अभी अधूरा है। स्थिति यह है कि जिनके घर में शौचालय बन गए हैं वे भी खुले में शौच जा रहे हैं। एक आंकड़ा के अनुसार पूरी पंचायत में करीब 1100 शौचालय के निर्माण कराए गए। इसमें से करीब 500 लोगों को ही प्रोत्साहन राशि मिल पाई है। हालांकि,संपन्न लोगों के पास पहले से ही शौचालय है और वे लोग इसका पहले से ही उपयोग करते हैं। वार्ड 11 के वार्ड सदस्य रामसागर राम ने बताया कि बलसा गांव के दक्षिणवारी टोल में मुख्य सड़क पर गंदगी का अंबार है। लोगों को मना करने पर वे लड़ाई करने पर तुल जाते हैं। गांव में अभी भी 40 फीसद परिवार में शौचालय नहीं है। ग्रामीणों के माने तो जीयो टैगिग व प्रोत्साहन राशि के भुगतान के नाम पर भ्रष्टाचार फैला है। लोग अपना काम छोड़कर प्रोत्साहन राशि के लिए प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। बगैर नजराना दिए प्रोत्साहन राशि नहीं मिलती। यह देख कुछ लोग शौचालय निर्माण नहीं करा रहे हैं।
क्या कहते हैं मुखिया:
मुखिया सुनील यादव बताते हैं कि पंचायत में अधिकतर परिवारों में शौचालय का निर्माण हो गया है। लेकिन, 50 वर्ष से अधिक आयु के लोग शौचालय का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। ऐसे लोगों की आदत तुरंत बदलना कठिन है। लोग शौचालय का निर्माण कर लिए हैं, लेकिन उन्हें प्रोत्साहन राशि नहीं मिल पा रही है। यह देख कई लोग शौचालय बनाने से हिचक रहे हैं।
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