पुपरी - 14 सालों में 75 बेड का अनुमण्डलीय अस्पताल करोड़ों खर्च के बाद भी आम लोगों के इस्तेमाल के लायक नहीं बन पाया


अनुमण्डलीय अस्पताल बीमार
पुपरी - कोरोना महामारी के संकट की इस घड़ी में ज़िले में हर तरफ अफरातफरी मची है।जगह जगह कोरेनटाइन सेंटर बनाने के लिये पदाधिकारी स्कूलों और दूसरे भवनों की तलाश में लगे हैं,वहीं करोड़ों की लागत से बन रहा पुपरी का अनुमण्डलीय अस्पताल किसी ऐसे मसीह के इंतज़ार कर रहा है,जो उसपर नज़रे इनायत करदे।
जी हाँ हम बात करते हैं पुपरी अनुमण्डल मुख्यालय के पुपरी पंचायत वार्ड 2 में बन रहे 75 बेड के अस्पताल की।इस भवन के निर्माण की प्रक्रिया 2006 में शुरू हुई।टेंडर हो गया।लेकिन जिस जमीन पर करोड़ों की बिल्डिंग को बनाना था उसके लिए जमीन ढूंढने में बिल्डिंग विभाग को 3 साल लग गए।
चलिये 2009 में भवन निर्माण का काम अवन्तिका कॉन्ट्रैक्टर्स इंडिया लिमिटेड ने शुरू किया।18 माह की अवधि उसे मिली थी।जैसे तैसे भवन तो बना दिया गया।लेकिन बिल्डिंग विभाग में कम्पनी से भुगतान का पचड़ा फँस गया।कम्पनी मजबूरन कोर्ट के शरण मे गयी।
लम्बे इंतज़ार के बाद 16-05-2019 को कम्पनी के हक़ में फैसला आया।बिल्डिंग विभाग को तकरीबन 26 लाख रुपए भुकतान करना था।लेकिन आज तक कम्पनी को तय की गई राशि भवन निर्माण विभाग द्वारा नहीं दिया जा सका।इसी क्रम में एक दूसरी कम्पनी एस एस इंटर प्राइजेज को वर्ष 2017 में अस्पताल का शेष काम बाउंड्री,टंकी,पहुंच पथ आदि बनाने का ठेका दिया गया।वह भी काम पूरा हो गया।
अब सवाल पैदा होता है कि ऐसे कौन सी हालत पैदा हो गयी कि 14 सालों में 75 बेड का अनुमण्डलीय अस्पताल करोड़ों खर्च के बाद भी आम लोगों के इस्तेमाल के लायक नहीं बन पाया।इसके लिये जिम्मेदार कौन है।फैसला आप को करना है।
आज भूत बंगले में तब्दील इस भवन को अगर कोरेनटाइन सेंटर के रूप में इस्तेमाल किया जाता तो सहायत जगह जगह स्कूलों में सेंटर बनाने की ज़रूरत नहीं होती,साथ ही आर्थिक नुकसान से भी बचा जा सकता था।

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