कृषि विज्ञान केन्द्र पुपरी बलहा मधुसूदन सीतामढ़ी में वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन कौशल प्रशिक्षण का आयोजन
पुपरी - कृषि विज्ञान केन्द्र पुपरी बलहा मधुसूदन सीतामढ़ी के सभागार में शुक्रवार को वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन कौशल विकास प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्धाटन केन्द्र के सचिव सुदिष्ठ कुमार व केन्द्र के वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप से किया। सचिव श्री कुमार ने बताया कि वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि यह फसलों के लिए एक संतुलित आहार है। जिससे पौधों का विकास अच्छे तरीके से
होता है साथ ही उत्पादन भी अधिक होता है केन्द्र के एक वैज्ञानिक ने बताया कि आज पूरे देश में मे खेतों की उर्वरता कम होती जा रही है। क्योंकि किसान आजकल रासायनिक खाद का प्रयोग अधिक कर रहे हैं। जिस कारण खेतों की उर्वरता में काफी गिरावट आईं हैं। इसलिए आज जरूर है कि किसान जैविक खेती एवं कार्बनिक खेती की ओर अग्रसर हो। तभी किसनो की आय में वृद्धि होगी। इस के लिए वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन बेहतर कदम है। दुसरे वैज्ञानिक ने बताया कि पौधों के संतुलित वृद्धि एवं बेहतर उपज के लिए संतुलित पोषण प्रबंधन की जरूरत होती है
इस संतुलित भोजन में 16 पोषक तत्व की जरूरत होती है जो यूरिया डी ए पी पोटाश से पूरी नहीं हो सकती। इसके लिए कमपोस्ट सड़ी हुई गोबर कार्बनिक खाद एवं जैविक खाद की जरूरत है वर्मीकम्पोस्ट में सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें पोषक तत्व के अलावा विभिन्न प्रकार के हार्मोन एवं विटामिन्स भी मौजूद हैं जो फलों सब्जियों अनाजों को चमकदार एवं वजनदार बनाता है साथ ही भूमि की उर्वरता को भी बढ़ाता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन करना काफी आसान है। इसके लिए 75 घन फीट का एक गडढा तैयार किया जाता है। जिसमें कच्चे सामग्री के रूप में गोबर. जलकुम्भी. भूसा कुट्टी का प्रयोग किया जाता है साथ ही प्रति गड्ढ़े में 500 केंचुआ का प्रयोग किया जाता है इस प्रकार 60 से 70 दिनों में खाद तैयार हो जाता है
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